मधुकर श्याम हमारे चोर



मधुकर श्याम हमारे चोर ।
 मन हर लियो माधुरी मूरत 
 निरख नयन की कोर ।।

 पकरेहुते आन उर अंतर 
 प्रेम प्रीती के जोर ।
गए छुड़ाय तोर सब बंधन
 दयी गए हसन अकोर ।।

 उचक परयो जागत निसि बीते 
तारे गिनत भई भोर ।
 सूरदास प्रभु हठी मन मेरो 
 बरबस ले गया नन्द किशोर ।।